लखनऊ में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का सफल समापन!
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के मार्गदर्शन में दीन दयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान, बख्शी का तालाब, लखनऊ द्वारा विभिन्न सरकारी व अर्धसरकारी विभागों के अधिकारियों एवं कर्मियों को दक्षता बढ़ाने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में 14 से 17 जुलाई, 2025 तक संस्थान के प्रशिक्षण कक्षों में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन तथा अटल भू-जल योजना से संबंधित तीन महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुए।राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कुल 48 डिस्ट्रिक्ट रिसोर्स पर्सन के प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण, 15 से 17 जुलाई के बीच 29 अधिकारियों को प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण तथा 17 जुलाई को अटल भू-जल योजना के अंतर्गत जल बजटिंग, डाटा रिपोर्टिंग एवं जेंडर इंटीग्रेशन जैसे विषयों पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।इन कार्यक्रमों के समापन अवसर पर संस्थान के बुद्धा सभागार में कुल 197 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह की अध्यक्षता संस्थान के महानिदेशक एल० वेंकटेश्वर लू ने की। विशिष्ट अतिथि वार्ताकारों में प्रख्यात शिक्षाविद् एवं पूर्व वरिष्ठ सदस्य लोक सेवा आयोग डा० किशन वीर सिंह शाक्य, भू-गर्भ जल विभाग के निदेशक सुनील कुमार वर्मा, आईएएस अधिशाषी अभियंता भू-गर्भ जल विभाग, अपर निदेशक सुबोध दीक्षित तथा उप निदेशक डा० बी एल मौर्य शामिल रहे।समापन समारोह में विशिष्ट अतिथियों ने अपने-अपने क्षेत्रों से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों पर प्रेरक व्याख्यान प्रस्तुत किए। महानिदेशक एल० वेंकटेश्वर लू ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि केवल डेटा संग्रह और कार्यों को पूर्ण करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि ईमानदारी और निष्ठा से किए गए कार्यों का लाभ समाज और राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन डा० नवीन कुमार सिन्हा ने किया, जबकि उप निदेशक डा० बी एल मौर्य ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस आयोजन के सफल प्रबंधन में डा० राज किशोर यादव, उदय प्रताप सिंह, यशवीर चौधरी, विनीता रावत, डा० सतेन्द्र कुमार गुप्ता, ओम प्रकाश, उपेन्द्र दूबे और शहंशाह का उल्लेखनीय योगदान रहा।यह प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तर प्रदेश सरकार की ग्रामीण विकास और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और अधिकारी-कर्मचारियों की क्षमता वृद्धि के माध्यम से बेहतर सेवा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।
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